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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2646
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास

अध्याय - 12

भारतीय पुनर्जागरण : सुधार एवं पुनरूद्धार

(Indian Renaissance : Reformation and Revivals)


 

 

प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।

अथवा
भारतीय पुर्नजागरण के स्वरूप एवं कार्यो की विवेचना कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 19वीं शताब्दी के भरतीय पुनर्जागरण की प्रमुख विशेषताएं बताइये।

उत्तर -

भारतीय पुनर्जागरण

19वीं सदी में पुनर्जागरण की जो महान् लहर आई वह बहुत कुछ पाश्चात्य सम्पर्क का परिणाम थी। यह लहर जीवन के सभी क्षेत्रों में व्यापक बनी, फिर भी धर्म एवं समाज के क्षेत्र में इसने विभिन्न धार्मिक, सामाजिक आन्दोलनों का सूत्रपात किया और धीरे-धीरे अपना सुधार कार्य विस्तृत करते हुए उस क्षेत्र में प्रवेश किया जिसे वैधानिक राजनीति कहा जाता था। भारत वास्तव में जिस प्रकार पश्चिम का आर्थिक और राजनीतिक उपनिवेश तथा सांस्कृतिक प्रान्त बना दिया गया, उसके विरुद्ध एक तीव्र प्रतिक्रिया होना स्वाभाविक था। वैसे तो 19वीं सदी के प्रारम्भिक दशकों में ही पाश्चात्य प्रभाव के कारण आत्मलोचन एवं धार्मिक सुधार की प्रक्रिया की शुरूआत हो गई। लेकिन शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यह प्रक्रिया और भी तेज हो गई तथा शीघ्र ही महान् सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों के रूप में प्रस्फुटित हुई। इन धार्मिक-सामाजिक आन्दोलनों ने देश में एक बुद्धिजीवी दृष्टिकोण उत्पन्न कर दिया, सम्पूर्ण भारत में एक नया माहौल पैदा कर दिया।

भारतीय पुनर्जागरण के कारण

19वीं सदी के उत्तरार्द्ध में भारत में हुए सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन के निम्नलिखित उत्तरदायी कारण थे -

1. यूरोपीय सभ्यता का प्रभाव - भारतीय पुनर्जागरण पर यूरोपीय सभ्यता का बहुत प्रभाव था। अंग्रेजों के भारत आगमन से भारत में पश्चिमी सभ्यता का भी आगमन हुआ। पहला लाभ यह हुआ कि हमारे देश का संपर्क दूसरे देशों से भी हुआ। इससे भारतीयों के धार्मिक, राष्ट्रीय और सामाजिक जीवन में नव चेतना का संचार हुआ। भारत में अंग्रेजी सभ्यता ने हमारे देश के लोगों का ध्यान अपने देश की बिगड़ती हुई स्थिति की ओर आकर्षित किया।

2. अंग्रेजी शिक्षा व विज्ञान का प्रभाव - अंग्रेजी के माध्यम से भारतीय यूरोप की उदारवादी विचारधारा से परिचित हुए और इसका परिणाम यह हुआ कि भारत के लोग भूतकाल को आलोचनात्मक दृष्टि से देखने लगे। विश्वास के स्थान पर तार्किक चेतना आई और विज्ञान ने अंधविश्वास को दूर किया। सर विलियम जोंस, मैक्समूलर जेम्स प्रिंसेप आदि सहित भारतीय विद्वानों जैसे राजा राममोहन राय, राधाकान्त देव, आर. जी. भण्डारकर आदि ने भारत के अतीत की खोज एवं पुनर्व्याख्या करने में अपूर्व योगदान दिया।

3. साहित्यिक गतिविधियाँ - सुधार आन्दोलन के प्रसार का तीसरा कारक उत्कृष्ट रचनात्मक साहित्य था। प्राचीन एवं नवीन का अद्भुत संयोजन तथा प्राचीन भारत की श्रेष्ठ साहित्यिक परम्पराओं का बाह्य आधुनिक जगत की संस्कृति की उत्तम विशेषताओं के साथ भव्य सम्मिलन इसकी विशेषता थी। राजा राममोहन राय, केशवचन्द्र सेन, माइकल मधुसूदन दत्त, बंकिम चन्द्र चटर्जी, काशीराम त्रियम्बक तैलंग प्रभृति मनीषी ऐसे ही मौलिक प्रतिभा सम्पन्न व्यक्ति थे, जिन्हें भारतीय इतिहास में चैतन्य महाप्रभु, जयदेव, तुलसीदास तथा शंकराचार्य जैसे प्राचीन महामानवों के समकक्ष माना जाएगा तथा जहाँ पुरातन एवं नवीन मिल रहे होंगे, वहाँ के भविष्य में उस प्रचण्ड हलचल में धूव के प्रदीप्त स्फुलिंग के समान जगमगाते रहेंगे।

4. ईसाई प्रचारकों का प्रचार - कार्य ईसाई धर्म प्रचारकों का यह मत था कि भारत में ईसाई धर्म प्रचार से ब्रिटिश साम्राज्य के हितों का संवर्द्धन होगा, साम्राज्य सुरक्षित रहेगा, ईस्ट इण्डिया कम्पनी समृद्ध होगी तथा साम्राज्य के प्रति भारतीयों का आकर्षण बढ़ेगा। ईसाई मिशनरी ईसाई मत के प्रसार में लगे रहते हुए भी, ब्रिटिश साम्राज्य के ध्वज को आगे रखकर ब्रिटिश व्यापार को बढ़ावा देते थे। वे हिन्दुओं के पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठानों, विश्वासों, जाति प्रथा तथा स्त्रियों के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार की निंदा करते थे। भारतीय बुद्धिजीवियों ने अपने कर्म का प्रतिवाद करने के लिए अब भारतीय सामाजिक कुरीतियों को दूर करने तथा उसमें सुधार लाने की आवश्यकता को अनुभव किया।

भारतीय पुनर्जागरण की विशिष्टताएँ

भारतीय पुनर्जागरण की विशिष्टताएँ चार रूपों में परिलक्षित हुयीं, जो निम्नवत् हैं-

1. आन्तरिक सुधार - इस विधि के प्रवक्ताओं का विश्वास था कि कोई सुधार केवल उसी समय प्रभावी होता है जब वह समाज के भीतर से आविर्भूत हुआ हो। इस वर्ग के अनुयायियों का मुख्य प्रयास लोगों में जागरूकता पैदा करना था। मुख्यतया राजा राममोहन राय द्वारा चलाए गए अभियान का प्रभाव सम्पूर्ण 19वीं सदी में बना रहा। उनका विश्वास न तो भारत के अतीत जीवी होने में था और न पश्चिम के अन्धानुकरण के समर्थन में था। वह पश्चिमी शिक्षा के माध्यम से मात्र भारतीय संस्कृति तथा विचारधारा का पुनरुद्धार करना चाहते थे। वे हिन्दू धर्म में सुधार के पक्षधर तथा हिन्दू धर्म पर ईसाई धर्म के प्रभावीकरण के विरोधी थे। उन्होंने ईसाई धर्म प्रचारकों के निर्मम प्रहारों से हिन्दू धर्म और दर्शन की रक्षा की।

2. विधान के माध्यम से सुधार - सामाजिक सुधार की इस प्रवृत्ति का विकास वैधानिक हस्तक्षेप की क्षमता में विश्वास होने के कारण भी हुआ। इसके प्रवर्त्तकों का मानना था कि सुधार उस समय तक नहीं हो सकता जब तक उसे राज्य का समर्थन प्राप्त न हो। अतः उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि कानूनी विवाह, विधवा पुनर्विवाह जैसे सुधारों तथा विवाह की आयु में वृद्धि करने के लिए कानूनी स्वीकृति दी जाए। केशवचन्द्र सेन, एम. जी. रानाडे, वीरेशलिंगम आदि ने इस विशिष्टता को अपनाया।

3. परिवर्तन के प्रतीकों के माध्यम से सुधार - यह गैर-मतावलम्बी व्यक्तिगत गतिविधि के रूप में प्रगट हुई, जो केवल 'युवा बंगाल या डेरोजियो के आंदोलन तक सीमित था। इन्होंने सुधार आन्दोलन के भीतर उग्रधारा का प्रतिनिधित्व किया। वे स्त्री-अधिकारों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने स्त्री-शिक्षा की माँग की। डेरोजियो ने प्राचीन एवं ह्रासोन्मुख प्रथाओं, कर्मकाण्डों तथा रीति रिवाजों पर प्रहार किया। वे पश्चिम के नवीन विचारों के पक्षधर थे किन्तु यह भारतीय समाज की सांस्कृतिक परम्पराओं को अधिक प्रभावित नहीं कर सका।

4. सामाजिक कार्यों के माध्यम से सुधार - पुनर्जागरण की यह विशिष्टता विशेषतया दयानन्द सरस्वती के आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन और स्वामी विवेकानन्द और महाराष्ट्र के प्रार्थना समाज के "क्रियाकलापों में दिखाई दी। महाराष्ट्र में गोपालहरि देशमुख सामान्यतया 'लोकहितवादी' के रूप में प्रसिद्ध थे। आर्य समाज में जाति प्रथा को वर्ण व्यवस्था में बदलने को जोर देते हुए समानता पर बल दिया। आर्य समाज और रामकृष्णमिशन ने भी सामाजिक कार्यों के माध्यम से सुधार और पुनरुत्थान के विचारों का प्रचार करने का प्रयास किया। आर्यसमाज और मिशन ने विभिन्न शैक्षणिक संस्थाएँ खोलीं और भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए आध्यात्मिक तथा भौतिक नवजीवन का उपदेश दिया।

पुनर्जागरण के परिणाम

1. राजनीतिक चेतना का उदय - धार्मिक-सामाजिक आन्दोलनों ने प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप में राजनीतिक चेतना जाग्रत की। इस पुनर्जागरण के प्रभाव से हिन्दुओं में आत्मसम्मान तथा ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति असन्तोष जाग उठा। स्त्री-पुरुषों को समान सुविधा व अधिकार दिए जाने के लिए लोकमत तैयार हुआ। 18वीं तथा 19वीं सदी के समाज सुधारक वास्तव में भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन के प्रवर्तक थे, जिन्होंने शिक्षित नागरिक वर्ग में जागृति फैलाई।

2. सामाजिक सुधारों में तीव्रता - सती प्रथा को लार्ड विलियम बेंटिक ने सरकारी कानून द्वारा निषेध कर दिया। इसी प्रकार विधवा विवाह, ठगी प्रथा तथा विवाह की न्यूनतम आयु की अनिवार्यता आदि सामाजिक बुराइयों को सामाजिक सुधार कार्यों द्वारा रोका गया। दास प्रथा पर रोक लगाई गई। स्त्री शिक्षा पर जोर दिया गया। जाति के आधार पर अयोग्यता के विरुद्ध जनमानस तैयार होने लगा।

3. मुस्लिम सुधार आन्दोलन - जहाँ तक मुस्लिम समुदाय में सुधार आन्दोलनों का सम्बन्ध है. इस दृष्टि से इसमें कोई विशेष अन्तर नहीं है क्योंकि ये आन्दोलन एक-दूसरे से मूलतः भिन्न नहीं थे। अलीगढ़ और अहमदिया आन्दोलन मुस्लिमों में अधिकतर उदारवादी आदर्शों के पथ-प्रदर्शक थे। स्त्रियों की निम्नतर स्थिति, बाल-विवाह और बहुपत्नी प्रथा जैसी बुराइयाँ मुसलमानों में भी प्रचलित थीं लेकिन उनमें जाति व्यवस्था और अस्पृश्यता जैसी अनेक बुराइयाँ मौजूद न थीं। फिर भी यह आवश्यक था कि इन्हें समाप्त किया जाए।

4. बौद्धिक चेतना का उदय - इस पुनर्जागरण ने देश में एक बुद्धिवादी दृष्टिकोण पैदा किया। इनसे व्यक्तिवाद का विकास हुआ जो आधुनिक चिन्तन का आधार बना। विश्वास का स्थान धीरे-धीरे तर्क ने ले लिया। वैज्ञानिकता की कसौटी पर कसे बिना किसी बात का मानना असम्भव था। इस पुनर्जागरण ने एक ऐसे साहित्य की शुरुआत की जिसमें देशभक्ति और राष्ट्र-प्रेम का पुट था। विस्मृति में डूबे हुए प्राचीन साहित्य, दर्शन, विज्ञान, कानून, कला तथा स्थापत्य फिर से प्रकाश में आए और उनसे सारे संसार में भारत की ख्याति फैली और साथ ही अपनी आँखों में भी भारत की जनता का आत्म-सम्मान बढ़ा।

5. साम्प्रदायिकता का उदय - आर्य समाज के शुद्धि आंदोलन तथा विदेशी तत्वों को म्लेच्छ आदि नामों से विभूषित करने से मुसलमानों में हिन्दुओं के प्रति अविश्वास बढ़ा। 1857 के विद्रोह की असफलता को भी मुस्लिमों ने हिन्दुओं द्वारा असहयोग या धोखा दिया जाना माना जिससे दूरियाँ बढ़ीं। यह इस पुनर्जागरण का बुरा परिणाम था कि साम्प्रदायिकता को पनपने के लिए खुली और उपजाऊ भूमि मिली और इस जहरीले पौधे को अंग्रेजों से अच्छी खासी खाद मिली। परिणाम यह हुआ कि हिन्दू लोग हिन्दू राष्ट्रीयता और मुसलमान लोग मुसलमान राष्ट्रीयता का आलाप करने लगे। इस प्रकार से दो राष्ट्र सिद्धान्त की नींव पड़ी। इस सिद्धान्त के प्रतिपादकों को यह नहीं सूझा कि हिन्दू और मुस्लिम राष्ट्रीयता शब्द परस्पर विरोधी हैं। एक राष्ट्र विशुद्ध रूप से भौगोलिक, धर्म निरपेक्ष और राजनीतिक धारणा है और धर्म, नस्ल तथा भाषा को इससे कोई जरूरी सरोकार नहीं है। परन्तु साम्प्रदायिक तत्वों के सिर उठाने के बावजूद यह सुनिश्चित था कि 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से राष्ट्रीयता का पौधा शनैः-शनैः बढ़ता चला गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
  5. प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  7. प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
  9. प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
  10. प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
  12. प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
  13. प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
  17. प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
  19. प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
  20. प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
  22. प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
  23. प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
  24. प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
  25. प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
  28. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  29. प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
  31. प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
  32. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  33. प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  35. प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
  39. प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
  41. प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
  43. प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
  44. प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
  45. प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  46. प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
  47. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  48. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
  50. प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
  54. प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
  55. प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
  56. प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
  57. प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  59. प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
  61. प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  62. प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
  63. प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
  66. प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
  67. प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  68. प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
  69. प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
  70. प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  72. प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
  73. प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
  75. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  76. प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
  83. प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
  85. प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
  88. प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  89. प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
  90. प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  93. प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
  94. प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
  95. प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  97. प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
  99. प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
  100. प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
  101. प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
  102. प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
  104. प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
  105. प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  106. प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
  108. प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
  109. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
  110. प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
  111. प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
  112. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
  114. प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
  115. प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
  118. प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
  119. प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
  120. प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  121. प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
  123. प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
  124. प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  125. प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
  126. प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
  127. प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
  128. प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  131. प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  132. प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  133. प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
  134. प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
  135. प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  137. प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
  138. प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
  141. प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
  142. प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  143. प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
  144. प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
  146. प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
  147. प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?

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